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नौलि क्रिया विधि लाभ सावधानियाँ

नौलि क्रिया एक प्राचीन योगिक शुद्धिकरण प्रक्रिया (षट्कर्म) है, जिसका मुख्य उद्देश्य पेट के अंगों की मालिश और टोनिंग करना है। इसमें पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित करके उनके घुमावदार आंदोलनों के माध्यम से आंतरिक अंगों को उत्तेजित और साफ किया जाता है। यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करती है।



नौलि क्रिया
नौलि क्रिया

नौलि क्रिया की विधि


उड्डीयान बंध से शुरुआत करें

  • पैरों को कंधों की चौड़ाई पर रखते हुए सीधे खड़े हों और हाथों को जांघों पर रखें।

  • गहरी साँस लें और फिर पूरी तरह से साँस छोड़ दें, ताकि फेफड़े खाली हो जाएं।

  • साँस छोड़ने के बाद, पेट को अंदर की ओर खींचें (इसे उड्डीयान बंध कहते हैं)।

  • इस स्थिति में रहते हुए, साँस को रोककर रखें।


नौलि मांसपेशियों को अलग करें

  • उड्डीयान बंध में रहते हुए, पेट की मांसपेशियों को बीच से बाहर की ओर लाएं। इसे मध्य नौलि (मध्य में पेट की मांसपेशियों का खिंचाव) कहा जाता है।


पेट की मांसपेशियों को दाएँ और बाएँ हिलाएँ

  • दाईं ओर मांसपेशियों को हिलाना (दक्षिणा नौलि): पेट की मांसपेशियों को दाईं ओर शिफ्ट करें।

  • बाईं ओर मांसपेशियों को हिलाना (वामा नौलि): पेट की मांसपेशियों को बाईं ओर शिफ्ट करें।


नौलि घुमाव

  • एक बार जब आप मांसपेशियों को बाएँ और दाएँ अलग करने में सक्षम हो जाते हैं, तो पेट की मांसपेशियों को गोलाकार घुमाना शुरू करें, पहले बाईं से दाईं ओर और फिर दाईं से बाईं ओर। इसे नौलि क्रिया कहा जाता है।

  • इसे क्लॉकवाइज और काउंटर-क्लॉकवाइज दोनों दिशाओं में किया जा सकता है।


मुक्त करें और आराम करें

  • कुछ चक्करों के बाद, धीरे-धीरे उड्डीयान बंध को छोड़ें, साँस लें और सामान्य स्थिति में वापस आएं।


नौलि क्रिया के लाभ

  • पाचन में सुधार: यह पाचन अंगों को उत्तेजित करती है और अपच, गैस, और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देती है।

  • पेट की मांसपेशियों को टोन करती है: यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत और सुडौल बनाती है।

  • अंतरंग ऊर्जा का संतुलन: यह शरीर की ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित करने में मदद करती है, विशेषकर मणिपुर चक्र को।

  • आंतों की सफाई: यह पाचन तंत्र से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।

  • तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करती है: यह तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता को सुधारती है, जिससे शरीर के आंतरिक कार्यों का नियंत्रण बेहतर होता है।

  • भावनात्मक संतुलन में मदद: यह आत्म-नियंत्रण, इच्छाशक्ति, और भावनाओं को संतुलित करने में मदद करती है।


सावधानियाँ

  • खाली पेट करें: सुबह के समय खाली पेट करना सबसे उपयुक्त होता है।

  • विशेष परिस्थितियों में न करें: यदि आपको हर्निया, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अल्सर, या गंभीर पाचन समस्याएं हैं, तो यह क्रिया न करें या विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करें।

  • धीरे-धीरे शुरुआत करें: नौलि क्रिया एक उन्नत प्रक्रिया है, इसे धैर्यपूर्वक और अभ्यास के साथ करें।


नौलि क्रिया एक जटिल प्रक्रिया है, और इसे योग्य योग शिक्षक की देखरेख में सीखना सबसे बेहतर होता है।


उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। धन्यवाद!

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योग ऋषिका

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