top of page

त्राटक क्रिया विधि लाभ सावधानियाँ

Updated: Sep 21, 2024

त्राटक क्रिया एक प्राचीन योगिक ध्यान तकनीक है, जिसका उद्देश्य एकाग्रता और मानसिक स्थिरता को बढ़ाना है। यह विशेष रूप से दृष्टि, मन, और आत्मा को शुद्ध करने के लिए उपयोग की जाती है। त्राटक का अर्थ होता है "घूरना" या "ध्यान से देखना", और यह क्रिया व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को मजबूत करती है।


त्राटक क्रिया का अभ्यास आमतौर पर किसी स्थिर वस्तु या बिंदु पर ध्यान केंद्रित करके किया जाता है, जैसे कि एक दीपक की लौ, किसी काली बिंदु, या किसी अन्य छोटी वस्तु पर। इसका अभ्यास न केवल ध्यान को गहरा करता है बल्कि मानसिक शक्ति को भी प्रबल बनाता है।



त्राटक क्रिया
त्राटक क्रिया

त्राटक क्रिया की विधि


सामग्री

  • दीपक (जलती हुई मोमबत्ती या घी का दीपक) या किसी स्थिर वस्तु का उपयोग कर सकते हैं।

  • शांति और अंधेरे वाले कमरे में बैठें ताकि बाहरी विकर्षण न हो।


स्थिति

  • एक आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं (सुखासन, पद्मासन या वज्रासन)।

  • अपनी रीढ़ सीधी रखें और अपने हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।

  • दीपक या जिस वस्तु पर ध्यान केंद्रित करना है, उसे आंखों के सामने रखें। वह वस्तु आपकी आंखों के स्तर पर होनी चाहिए और लगभग 2-3 फीट की दूरी पर रखी जाए।


ध्यान केंद्रित करना

  • अपनी आँखें खोलें और पूरी तरह से दीपक की लौ या ध्यान केंद्रित की गई वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें। कोशिश करें कि पलक न झपकाएं।

  • बिना किसी विचार के, बिना पलकें झपकाए, सिर्फ उस वस्तु को देखें। आपका पूरा ध्यान सिर्फ उस बिंदु पर होना चाहिए।


अंतर त्राटक (भीतरी त्राटक)

  • जब आँखें थकने लगे या पानी आने लगे, धीरे-धीरे आँखें बंद करें और अपने मन में उसी बिंदु या लौ की छवि को ध्यान में लाएं।

  • अब अपनी आँखें बंद करके उस छवि का ध्यान करें और उसे अपने भीतर अनुभव करें। इसे "अंतर त्राटक" कहा जाता है।


समाप्ति

  • जब तक संभव हो सके, आँखें बंद रखकर ध्यान करें। फिर धीरे-धीरे आँखें खोलें और कुछ गहरी साँसें लें।

  • धीरे-धीरे ध्यान से बाहर आएं और कुछ मिनटों तक शांत बैठें।


लाभ

  1. एकाग्रता में वृद्धि: त्राटक क्रिया एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाती है, जिससे मस्तिष्क की शक्ति और स्पष्टता में सुधार होता है।

  2. नेत्रों का स्वास्थ्य: त्राटक नेत्रों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और दृष्टि को बेहतर बनाता है। इससे आँखों की थकान और कमजोरी दूर होती है।

  3. मानसिक शांति: यह क्रिया मन को शांत करती है और मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करने में मदद करती है।

  4. आध्यात्मिक विकास: त्राटक क्रिया आत्मचेतना को जाग्रत करती है और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति को आंतरिक शांति और आत्म-ज्ञान की ओर ले जाती है।

  5. अनिद्रा से राहत: यह क्रिया मस्तिष्क को शांत करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायक होती है।

  6. स्मरण शक्ति में वृद्धि: त्राटक के नियमित अभ्यास से मानसिक स्पष्टता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।


सावधानियाँ

  • त्राटक क्रिया को धीरे-धीरे करें। शुरुआत में आँखों में जलन या थकान महसूस हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास करने से यह कम हो जाएगी।

  • यदि आँखों में अत्यधिक पानी आता है या जलन होती है, तो कुछ समय के लिए अभ्यास रोक दें और आँखें आराम दें।

  • यदि आपको कोई नेत्र रोग है, तो त्राटक का अभ्यास करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें।


त्राटक के प्रकार

  1. बाह्य त्राटक: बाह्य त्राटक का अभ्यास किसी बाहरी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करके किया जाता है, जैसे कि दीपक की लौ, चंद्रमा, सितारा, या एक काला बिंदु।

  2. अंतर त्राटक: इसमें ध्यान केंद्रित करने के लिए किसी वस्तु की कल्पना की जाती है, जैसे कि आपके मन में एक बिंदु या प्रकाश की छवि।


त्राटक का षट्कर्म में स्थान

त्राटक क्रिया को षट्कर्म की एक शुद्धिकरण प्रक्रिया के रूप में माना जाता है, जो व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिरता को बढ़ाती है। यह मानसिक विक्षेपों को दूर करती है, एकाग्रता बढ़ाती है और मस्तिष्क को जाग्रत करती है। त्राटक का नियमित अभ्यास ध्यान की गहराई को बढ़ाता है और आत्मबोध को प्रेरित करता है।


त्राटक एक सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी क्रिया है, जो योग के ध्यान और आत्मिक उन्नति में सहायक होती है।


उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। धन्यवाद!

---

योग ऋषिका



Comments


Follow us

​© 2035 by योग ऋषिका | Yog Rishika Foundation

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
bottom of page